Nabhikiya Oorja: Bestseller Book by D.D. Ojha: Nabhikiya Oorja

· Prabhat Prakashan
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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सामाजिक तथा आर्थिक उन्नति के शक्तिशाली साधन हैं । इन दोनों ने ही आज के विकसित देशों के विकास में प्रमुख भूमिका निभाई है । औद्योगिक युग में ऊर्जा की उपलब्धि का अपना एक महत्त्वपूर्ण स्थान होता है । इसमें विद्युत् ऊर्जा को विकास का मेरुदंड कहा जा सकता है । विश्व स्तर पर नाभिकीय ऊर्जा के अनेकानेक उपयोग-बिजली निर्माण, रिएक्टर, चिकित्सा, कृषि, ऊर्जा, औद्योगिक क्षेत्र एवं वैश्लेषिक क्षेत्र इत्यादि में हो रहे हैं; जिनसे जनसाधारण को, विशेषत: चिकित्सा क्षेत्र में जटिल रोगों के निदान में, बहुत राहत मिली है ।

इसी नाभिकीय ऊर्जा का दूसरा उपयोग विध्वंसक रूप में परमाणु बम, हाइड्रोजन बम एवं अन्यान्य शक्तिशाली बमों के निर्माण में किया जाता है । अत: जनमानस को इसके बारे में जानकारी होना अति आवश्यक है । प्रस्तुत पुस्तक ' नाभिकीय ऊर्जा ' में परमाणु ऊर्जा से जुड़े सभी संभाव्य पहलुओं-ऊर्जा संसाधनों का प्रादुर्भाव, नाभिकीय विखंडन, नाभिकीय रिएक्टर, बिजलीघर, रेडियो आइसोटोपों के विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग, नाभिकीय ऊर्जा एवं पर्यावरण, परमाणु बम विस्फोट और उसके प्रभाव तथा नाभिकीय विकिरण से सुरक्षा के उपायों के बारे में सरल एवं सुबोध भाषा में जानकारी प्रदान की गई है ।

अनेक स्थानों पर दिए गए चित्र विषय को समझने में सरलता प्रदान करते हैं ।

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About the author

डॉ. डी.डी. ओझा 16 फरवरी, 1953 को जोधपुर में जनमे डॉ. ओझा देश के उत्कृष्‍ट विज्ञान लेखकों, प्रचारकों एवं प्रसारकों में से एक है, जिन्होंने विज्ञान के विविध विषयों पर महत्त्वपूर्ण लेखन कार्य कर नवीन विज्ञान विषयों को जन-सामान्य तक पहुँचाया है । विज्ञान की उच्च शिक्षा प्राप्‍त डॉ. ओझा न केवल देश-विदेश के अनेक विज्ञान संस्थानों के चयनित फेलो ही हैं वरन् ' विज्ञान रत्‍न', ' विज्ञान भूषण ', ' विज्ञान वाचस्पति ' एवं ' विज्ञान प्रदीप ' जैसे सम्मानों से अलंकृत भी हैं । उन्होंने विज्ञान के विविध क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण अनुसंधान कार्य किए हैं । उन्होंने विज्ञान के अनेक क्षेत्रों में अनुसंधान कर शताधिक शोधपत्र एवं सात सौ पचास आलेख प्रकाशित किए हैं । उनकी विभिन्न विज्ञान विषयक अठारह पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं तथा राजस्थान सरकार एवं भारत सरकार के कई मंत्रालयों द्वारा कई बार वह पुरस्कृत किए जा चुके हैं । अंतरराष्‍ट्रीय स्तर की भी कई संस्थाओं द्वारा उन्हें सम्मानित किया जा चुका है विज्ञान लेखन तथा जन-सामान्य में विज्ञान चेतना उनकी अभिरुचि के कार्य हैं, जिनको वह पूर्ण निष्‍ठा से कर रहे हैं । संप्रति : भू-जल विभाग, जोधपुर में वैज्ञानिक के पद पर कार्यरत ।

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