MahanTyagi Dadhichi

· Storyside IN · Чете: Amogh Vaidya
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महर्षि दधिची हे वैदिक ऋषी होते. संपूर्ण जगात मधु विद्या आणि ब्रह्मविद्या यांचे ज्ञान फक्त त्यांनाच होतं. एकदा देवांचा राजा इंद्र याने त्यांना मधु विद्या शिकवण्यासाठी विचारले. दधीचीनी त्याला अपात्र ठरवले. चिडून इंद्राने त्यांना शाप दिला " ही विद्या तुम्ही इतर कुणाला दिली तर मी तुमचे शीर उडवेन. दधिची म्हणाले " मला योग्य व्यक्ती मिळाली तर मी माझी विद्या त्यांना देणार. तुला काय करायचे ते कर. " परशुराम ऋषींकडे महाशक्तिशाली वज्रबाण होता. त्यांना तीर्थयात्रेला जायचे होते. वज्रबाण महाप्रचंड व शक्तिशाली होता. तो सांभाळण्यासाठी दधीचि ऋषि योग्य वाटल्यामुळे त्यांनी विचारले. दधिचीनी मान्य केले. परशुराम मुनिनी सांगितले " अत्यंत काळजी घ्या. वज्रबाण हरवला, भंगला ,चोरीला गेला तर मोठा अनर्थ होईल. तुझ्या सकट सर्व विश्वाचा संहार होईल. " दधिची यांनी आश्वासन दिले. नि:शंक मनाने परशुराम जी यात्रेला निघून गेले. इकडे राक्षस उन्मत्त झाले.खूप त्रास देऊ लागले. अखेर दधीचि ऋषींनी आपल्या मंत्रसामर्थ्याने वज्रबाणाचे द्रवरूप रूपांतर केले व पिऊन टाकले.ते सारे बल त्यांच्या हाडात सामावले.

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