बृहद् सूक्ति कोश

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Latest release: August 4, 2021
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बृहद् सूक्ति कोश

               महान विचारकों के अनुभव जब शब्द रूप में काग़ज़ पर उतरते हैं तो वे नई क्रान्ति ला सकते हैं। उनके अनुभवों के निचोड़ से सदियों तक समाज लाभान्वित होता है। अनुभवसिद्ध विचारों में अनन्त शक्ति छिपी होती है, जिन्हें पढ़कर विश्वास, प्रेरणा, ऊर्जा और ज्ञान का संवर्धन किया जा सकता है। नव निर्माण के बीज इसी में समाहित है। इसलिए विचार शक्ति को सर्वोपरि माना गया है। विचारों की शक्ति का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि जब किसी एक व्यक्ति के इशाारे मात्र पर हज़ारों-लाखों लोग उसका अनुसरण करते हुए, उसकी बताई दिशा में चल पड़ते हैं। काम में जुट जाते हैं, उसकी हर बात मानने लगते हैं।                    विचार का चरित्र से घनिष्ठ सम्बन्ध होता है। जिसके विचार जैसे होंगे, उसका चरित्र भी उसी कोटि का होगा। विचारों के अनुरुप ही चरित्र का निर्माण होता है। यह प्रकृति का अटल नियम है। चरित्र मनुष्य की सबसे मूल्यवान सम्पत्ति है। उससे ही सम्मान, प्रतिष्ठा, विश्वास और श्रद्धा की प्राप्ति होती है। वही मानसिक तथा शारीरिक शक्ति का मूल आधार है। चरित्र की उच्चता ही उच्च जीवन का मार्ग निर्धारित करती है और उस पर चल सकने की क्षमता दिया करती है।

               संसार में उन्नति करने के लिए धन, अवसर आदि बहुत से साधन माने जाते हैं। किन्तु विचार साधन ऐसा है, जिसके द्वारा बिना किसी व्यय के मनुष्य अनायास ही उन्नति कर सकता है। मनुष्य के विचार परमार्थ परक, परोपकारी और सेवापूर्ण हों, तो समाज में उसे उन्नत करने के लिए किन्हीं अन्य साधनों की आवश्यकता नहीं रहती। विचारों द्वारा मनुष्य बहुत बड़े समुदाय को प्रभावित कर अपने अनुकूल कर सकता है। साधनापूर्ण व्यक्तियों को अपनी ओर आकर्षित कर सकता है। विचारों की विशालता मनुष्य को विशाल और उनकी निकृष्टता निकृष्ट बना देती है। विचार सम्पत्ति से भरे-पूरे व्यक्तित्व के उन्नति करने के लिए अन्य उपकरणों, उपादानों और साधनों की अपेक्षा नहीं रहती। अकेले विचारों के बल पर वह जितनी चाहे उन्नति कर सकता है। इसमें किसी प्रकार का कोई संशय नहीं है कि विचारों की शक्ति अपार है, विचार ही संसार की धारणा के आधार और मनुष्य के उत्थान-पतन के कारण होते हैं।

               विश्व भर के मनीषियों, विद्वानों, महापुरुषों, साधु-सन्तों, शासकों, योद्धाओं, आचार्यों, लेखकों, दार्शनिकों, नीतिज्ञों, चित्रकारों, पत्रकारों, वैज्ञानिकों, राजनीतिज्ञों, इतिहासकारों, अभिनेताओं और शिक्षकों आदि ने सूक्तियाँ लिखी हैं। उनके सीमित शब्दों में चमत्कारिक असर होता है। इन्हें पढ़कर उनके अनुभवों को जाना जा सकता है। सूक्तियों में छिपे अनुभव, दर्शन और परिपक्व विचारों से हमारा जीवनपथ प्रशस्त होता है। हमारे सुख-दुःख में मार्गदर्शन प्रदान कर जीवन को नया मोड़ देने में कारगर सिद्ध होती हैं। अनुभव से क्या सीखा यह भी जाना जा सकता है। इससे दुनिया के कुछ रहस्य खुलते हैं। कुछ मर्म खुलता है। हृदय और मस्तिष्क के जाले साफ़ होते हैं। नई दृष्टि मिलती है। कभी-कभी कोई एक सूक्ति जीवन की दिशा और दशा दोनों को बदल देती है               सूक्तियों में जीवन का निचोड़ होता है। इस निचोड़ में रस होता है। इसकी एक रोशनी होती है। सूक्तियों का अपना आनन्द है। इसका अपना दर्शन है। सूक्तियाँ मार्ग भी दिखाती हैं। उस पर कुछ रोशनी डालती हैं। ये सूक्तियाँ यूँ ही नहीं लिख डाली गई हैं। इसके लिए जीवन को जलाना पड़ता है। गलाना पड़ता है। इसका अपना रहस्य है, इसका अपना मर्म है। अर्थ है। वास्तव में, सूक्तियाँ हमारी मानसिकता व विचारों का निर्माण करती हैं। अनेक अवसरों व परिस्थितियों में ये किसी सुहृद् मित्र की भाँति हमारा पथ-प्रदर्शन करती हैं। जीवन के महत्त्वपूर्ण निर्णयों की पूर्व-भूमिका तैयार करती है                सूक्तियों में एक व्यवहार कुशलता होती है। इनमें आदेश और निर्देश की भावना निहित होती है । इसीलिए वे मानव-हृदय के तारों को झनकार कर रख देती हैं। तब मनुष्य का मन क्रियाशील हो जाता है। उसके उदासीन, उत्साहित एवं दीन-हीन मन पर ऐसा प्रभाव पड़ता है कि कुण्ठा और सन्त्रास के सभी भाव तिरोहित हो जाते हैं। इन्हें सुनकर कंजूस दानवीर बन जाता है। पापी व्यक्ति पाप छोड़कर पुण्यात्मक हो जाता है। कायर मनुष्य शूरवीर बन जाता है। यही कारण है कि सूक्तियाँ सामाजिक सुधार में लगे हर वर्ग के लोगों के बहुत काम आती हैं।               जीवन के अनुभव में डूबी, सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर जीवन जीने का नया राह प्रशस्त करती अत्यन्त पठनीय, व्यावहारिक एवं उपयोगी सूक्तियों का संग्रह ‘बृहद् सूक्ति कोश’में किया गया है। यह कोश सामान्यजन के वाकचातुर्य को प्रभावशाली, उपयुक्त एवं समायोचित संक्षेपण तथा विस्तार प्रदान कर, उन्नत करने वाला है। यह कोश अकेले का साथी है, समूह में विशिष्ट बनाने वाला है एवं फुर्सत की घड़ियों को सार्थकता प्रदान करता है। यदि आपको अपनी गरिमानुकूल-किसी सभा में, संगोष्ठी में अथवा किसी उत्सव में अपनी बात कहनी है, तो इस कोश की सहायता लीजिए और अपने कथन को महान् बनाइए। संकलित सूक्तियों की एक झलक देखने भर से ही आपको आभास हो जाएगा कि इनसे कितनी प्रेरणा और लाभ मिल सकता है। इन सूक्तियों पर यदि कोई गहराई से मनन करे तो निश्चित ही उस मनुष्य के जीवन में गुणात्मक परिवर्तन होगा।


अपनी बात

अ 17

अन्तःकरण, अन्त, अन्तर, अन्तरिक्ष, अन्तरिक्ष प्रौद्योगिकी, अन्धकार, अन्धविश्वास, अन्धा, अकर्म,

अकर्मण्य, अकर्मण्यता, अकृतज्ञ, अकेला, अकेलापन, अग्नि, अग्निहोत्र, अच्छा, अज्ञान, अज्ञानी,

अज्ञात, अट्टहास, अति, अतिथि, अतृप्त, अत्याचार, अत्याचारी, अधर्म, अधिक, अधिकार, अध्ययन,

अध्यापक, अनन्त जीवन, अनन्य भक्ति, अनाथ, अनादर, अनाप-शनाप, अनासक्त, अनासक्ति,

अनिमंत्रित, अनुकरण, अनुग्रह, अनुचित, अनुदार, अनुभव, अनुपस्थित, अनुभूति, अनुराग,

अनुशासन, अन्न, अन्याय, अन्वेषक, अपकीर्ति, अपमान, अपराध, अपरिग्रह, अबला, अभय,

अभागा, अभाव, अभिनय, अभिमान, अभिमानी, अभियान, अभिलाषा, अभिवादन, अभ्यास, अमरता,

अमृत, अरण्य, अर्थनीति, अर्थशास्त्र, अर्थशास्त्री, अलगाव, अवकाश, अवगुण, अवतार, अवतारी

पुरुष, अवसर, अविवेक, अविश्वास, असन्तोष, असत्य, अविद्या, असफलता, असम्भव, असमय,

असहाय, असहयोग, अस्पृश्यता, अहंकार, अहंकारी, अहिंसा, अहिंसक

आ 63

आँख, आँसू, आकर्षण, आकांक्षा, आक्षेप, आग, आग्रह, आचरण, आचार, आज, आज़ादी,

आडम्बर, आतंक, आत्मकथा, आत्म-गौरव, आत्म-ज्ञान, आत्म-त्याग, आत्म-दर्शन, आत्म-निर्भरता,

आत्म-प्रशंसा, आत्म-बल, आत्म-बलिदान, आत्मा-भत्र्सना, आत्म-रक्षा, आत्मरति, आत्मविश्वास,

आत्म-सम्मान, आत्म-सन्तोष, आत्म-स्वीकृति, आत्महत्या, आत्मा, आत्मिक शक्ति, आदत, आदमी,

आदमीयत, आदर्श, आध्यात्मिक, आनन्द, आपत्ति, आपदा, आभूषण, आय, आय व्यय, आयु,

आरती, आयुर्वेद, आरोग्य, आरम्भ, आराम, आलस्य, आलोचना, आवश्यकता, आवागमन, आवाज़,

आविष्कार, आविष्कारक, आवेश, आश्चर्य, आशा, आश्रय, आसक्ति, आसक्त, आह, आहार

इ 96

इन्जीनियर, इन्टरनेट, इन्सान, इच्छा, इच्छाशक्ति इज़्ज़त, इन्तजा़र, इतिहास, इतिहासकार, इनाम,

इन्द्रियाँ, इन्द्रिय दमन, इन्द्रिय भोग, इन्द्रिय संयम

ई 107

ईमान, ईमानदारी, ईश्वर, ईश्वर कीर्तन, ईश कृपा, ईश चिन्तन, ईश पूजा, ईश प्राप्ति, ईश प्रेम,

ईश्वर भक्ति, ईश शरण, ईष्र्या, ईश्वरार्पण

अनुक्रमउ 120

उत्साह, उत्साही, उत्सुक, उदाहरण, उत्तम पुरुष, उत्तरदायित्व, उत्तेजना, उदार, उदारता, उद्देश्य,

उद्यम, उद्यमी, उद्योग, उद्धार, उधार, उन्नति, उन्माद, उपकार, उपदेश, उपद्रव, उपनिवेशवाद,

उपनिषद, उपन्यास, उपवास, उपहार, उपाधि, उपेक्षा, उषा, उपासना, उम्मीद, उर्दू

ऊ 137

ऊँचा, ऊब, ऊपर, ऊसर, ऊर्जा

) 139

ऋण, ऋतु, ऋषि

ए 141

एक, एकत्व, एकमुखी, एकता, एकाँगी, एकान्त, एकाग्रता, एकात्म, एकाधिकार, एहतियात, एहसान,

एहसान फ़रामोश, एहसास

ऐ 148

ऐक्य, ऐब, ऐश, ऐशो आराम, ऐश्वर्य

ओ-औ 150

ओम्, ओहदा, औक़ात, औरत, औलाद, औषध, औषधि

क 155

कचहरी, कंजूस, कंजूसी, कटुता, कनक, कनक-कामिनी, कन्या, कपट, कपटी, कपड़ा, कमज़ोर,

कमज़ोरी, कमाई, कर, कल, कलह, क़सम, करूणा, कर्ज़, कत्र्तव्य, कत्र्तव्यनिष्ठा, कर्म, कर्मफल,

कर्मयोग, कर्मशील, कर्महीनता, कलंक, कदम, क़लम, कला, कलाकार, कलाकृति, कटिबद्धता,

कलियुग, कल्पना, कल्याण, कवि, कवि और चित्रकार, कविता, कष्ट, कसरत, कस्तूरी, कहानी,

कहावत, काग़ज़, कान, कानून, काम, कामदेव, कामना, कामिनी, कायर, कायरता, कार्य, कार्यकत्र्ता,

कारण, काल, किसान, क़िस्मत, कीचड़, कीर्ति, कुकर्म, कुंडली, कुटिल, कुपुत्र, कुमति, कुमारी, कुरीति,

कुरूपता, कुलीन, कुलीनता, कुशलता, कुशासक, कुशासन, कुसंग, कुसमय, कूटनीति, कृतघन, कृतज्ञ,

कृतज्ञता, कृृषि, कै़दी, केन्द्र, क्रान्ति, क्रूरता, कम्प्यूटर, कठिनाई, कीर्ति, कुदरत, कुसंगति, कायर,

क्रोध, कौशल

ख 198

ख़ज़ाना, ख़र्च, ख़तरा, ख़तरनाक, खल, खेल, ख़ातिरदारी, खादी, ख़ामोशी, ख़ाली, खि़दमत, खिलाड़ी,

खुदा, खुदी, खुदगर्ज, खुश, खुशी, खुशबू, खुशामद, खुशामदी, खून, खूबसूरत-खूबसूरती, खै़रात,

खोटा, ख्याति, ख्वाहिशग 211

गंगा, गणतन्त्र, गणतन्त्र दिवस, गणित, गणेश, गजेन्द्र मोक्ष, ग़म, ग़रीब, ग़रीबी, ग़रूर, गर्व,

ग़लती, गल्प, गहना, ग्रन्थ, गाँठ, गाना, गाँधीवाद, गाय, गायत्री, गाली, ग्राम्य जीवन, गीत, गीता,

गुण, गुण-गान, गुण ग्राहक, गुण ग्राहकता, गुणहीन, गुणी, गुनाह, गुप्त भेद, गुमान, गुरु, गुलाम,

गुलामी, गुस्सा, गूँगा, गोपनीय, गोपी, गोविन्द नाम महिमा, गौरव, ग्रह-भेद, गृह, गृह कलह, गृहस्थ,

गृहस्थाश्रम, गृहस्थी, गो-वध, गोरस, गौ, ग्लानि

घ 246

घटना-घटनाएँ, घमण्ड, घड़ी, घर, घरौंदा, घायल, घाव, घूस, घनिष्ठता, घृणा

च 255

चंचल, चंचलता, चन्दन, चन्द्रमा, चक्रवर्ती, चतुर, चतुराई, चरखा, चरित्र, चरित्रोन्नति, चरित्र-निर्माण,

चरित्र बल, चातुर्य, चापलूस, चापलूसी, चालाकी, चिन्तन, चिन्तन-मनन, चिन्तन-शक्ति, चिन्ता, चिन्ता

ग्रस्त, चिन्तामणि, चिन्तित, चर्चा, चिकित्सक, चिकित्सा, चित्तवन, चित्त, चित्र, चित्रकला-चित्रकारी,

चित्रकार, चींटी, चुगलख़ोर, चुनना, चुनाव, चुनौतियाँ, चुम्बन, चैन, चूल्हा, चेतना, चेतावनी, चेहरा,

चोट, चोर, चोरी

छ 279

छछूँदर, छटपटाना, छत्रछाया, छन्द-मुक्त, छवि, छल, छली, छल-कपट, छाया, छायावाद, छायावादी,

छिद्रान्वेषण, छुआछूत, छोटे

ज 284

जं़जीर, जग, जगत्, जगद्गुरु, जड़, जड़ता, जनतन्त्र, जनमत, जनमानस, जनता, जननी, जन्मभूमि,

जप, जमाख़ोरी, जय, जल, जवानी, जागरण, जागरूकता, जाति, जाति-भेद, जाति धर्म, जाति-पाँति,

जाति-सेवा, जातीयता, जितेन्द्रिय, ज़िन्दगी, ज़िन्दगी और मौत, ज़िन्दा, जिज्ञासा, जिज्ञासु, ज़िम्मेदारी,

जिह्वा, जीना, जीने की इच्छा, जीव, जीव दया, जीवन, जीवन-कला, जीवन-चरित्र, जीवन न्याय,

जीवन बीमा, जीवन-मृत्यु, जीवन मृत, जीवात्मा-परमात्मा, जीवन शक्ति, जीविका, जानकारी, जुआ,

जुनून, जुल्म, जुल्मी, जेल, जे़वर, जे़हन, जोश, ज्योति, ज्योतिष

झ 316

झंकार, झंझट, झण्डा, झक्की, झगड़ा, झुकना, झूठ, झूठा

ट 321

टंकार, टका, टहलना, टाल-मटोल, टीम, टेक्नोलाजी

ठ 324

ठग, ठगी, ठगना, ठगाना, ठहरना-ठहराव, ठोकर, ठाटबाट, ठोस, ठौरड 327

डपोरशंख, डर, डरपोक, डाँट, डाँवाँडोल, डाॅक्टर, डाकू, डींग

ढ 332

ढंग, ढोंग, ढोंगी, ढुलमुल

त 334

तन्त्र, तक़दीर, तकनीक, तकनीकी, तक़रीर, तजुर्बा, तत्त्व, तत्त्वज्ञ-तत्त्वज्ञानी, तत्त्वज्ञान, तप, तपस्या,

तर्क, तलवार, ताक़त, ताक-झाँक, ताड़ना, तारीफ़, तिरस्कार, तिल, तिलांजलि, तीक्ष्ण बुद्धि, तीर्थ,

तुलना, तुलसी-महिमा, तृण, तृप्ति, तृष्णा, तृष्णारहित, तेज, तेजस्वी, त्याग, त्यागमय भोग, त्याग और

दान, त्यागी, त्याज्य, तोहफ़ा, तौर-तरीका, त्योहार

थ 356

थकान, थाती, थिएटर, थूकना

द 358

दण्ड, दम्भ, दक्ष, दक्षता, दमन, दयनीय, दया, दयालु, दयालुता, दरिद्र, दरिद्रता, दरिद्र नारायण,

दर्शन-दर्शनशास्त्र, दवा, दस्तकारी, दहेज़, दाता, दान, दानशीलता, दानव, दानी, दामाद, दाम्पत्य,

दाम्पतय जीवन, दायित्व, दार्शनिक, दार्शनिक शासक, दासता, दिखावा, दिखावटीपन, दिनों का फेर,

दिमाग़, दिल, दिलचस्पी, दिवालिया, दीक्षा, दीन, दीनता, दीपक, दीर्घसूत्रता, दुनिया, दुर्भाग्य, दुरूपयोग,

दुर्गति, दुर्गुण, दुर्जन, दुर्दिन, दुर्बल, दुर्बलता, दुर्बुद्धि, दुर्भाग्य, दुर्भावना, दुर्लभ, दुर्वचन, दुव्र्यसन,

दुव्र्यवहार, दुविधा, दुश्मन, दुष्कर्म, दुष्ट, दुःख, दुःखदायक, दुःखी, दूत, दृढ़, दृढ़ता, दृढ़प्रतिज्ञ,

दृष्टान्त, दृष्टि, देवता, देवनागरी लिपि, देश, देश-काल, देशभक्त, देशभक्ति, देश-सेवक, देशहित,

देशाटन, देशोद्वारक, देह, दैनिक, दैव, दैहिक, दोष, दोषदर्शन, दोषान्वेषण, दोषारोपण, दोषी, दोस्त,

दोस्ती, दौलत, द्रव्य, द्वन्द्व, द्विविधा, द्वेष

ध 411

धन, धनवान-धनी, धन्यवाद, धर्म, धर्म त्याग, धर्म निपरेक्षता, धर्म प्रसार, धर्म पालन, धर्म बन्धन,

धर्म मार्ग, धर्म युद्ध, धर्महीन, धार्मिक विश्वास, धर्मात्मा, धीर, धीरज, धुआँ, धूर्त, धूर्तता, धूल, धैर्य,

धोखा, धोखेबाज़, ध्यान, ध्येय, ध्वनि

न 430

नई शताब्दी, नक़ल, नकेल, नगर, नज़र, नज़रिया, नज़ीर, नदियाँ, नफ़रत, नमस्कार, नम्रता, नयन,

नर, नरक, नरकगामी, नश्वर, नया, नशा, नसीहत, नहीं, नागरिक, नागरिकता, नाटक, नातेदारी,

नाभि, नाम, नाम जप, नायक, नारायण, नारी, नाश, नासमझी, नास्तिक, निन्दा-निन्दक, निग्रह,

निडर, निद्रा, निधि, नियति, नियम, निरक्षरता, निराश-निराशा, निराशावादी, निरुत्साह, निर्गुण,

निर्णय, निर्धन, निर्धनता, निर्बल, निर्भय, निर्भयता, निर्मलता, निर्माण, निर्लज्ज, निर्लोभी, निश्चय,

निष्कपटता, निष्ठा, निःस्वार्थ, नींद, नीच, नीचता, नीति, नीतिज्ञ, नीतिशास्त्र, नीरोग, नृत्य, नुकसान,नेक-नेकनामी, नेकी, नेता, नेतृत्व, नेत्र, नेत्रहीन, नैवेद्य, नैराश्य, नौकर-नौकरी, नैतिकता, न्याय,

न्यायाधीश, न्याय प्रणाली


     


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