बाबा साहब अम्बेडकर हमेशा अस्पृश्यों और अन्य निचली जातियों की समानता के लिए लड़े और सफलता प्राप्त की। बचपन की कठिनाइयों और गरीबी के बावजूद डॉ. बी.आर. अम्बेडकर अपने प्रयासों और समर्पण के साथ अपनी पीढ़ी को शिक्षित बनाने के लिए आगे बढ़ते रहे। उन्होंने जीवन भर न्याय, जाति भेदभाव और असमानता के उन्मूलन के लिए काम किया। उन्होंने दृढ़ता से न्याय और सामाजिक समानता में विश्वास किया और यह सुनिश्चित किया कि संविधान में धर्म और जाति के आधार पर कोई भेदभाव ना हो। डॉ. बाबा साहब अम्बेडकर के अनुसार बौद्ध धर्म के द्वारा मनुष्य अपनी आंतरिक क्षमता को प्रशिक्षित करके, उसे सही कार्यों में लगा सकता है। उनका विश्वास इस बात पर आधारित था कि ये धार्मिक परिवर्तन देश के तथाकथित ‘निचले वर्ग’ की सामाजिक स्थिति में सुधार करने में सहायता प्रदान करेंगे। सामाजिक भेदभाव व विषमता का पग-पग पर सामना करते हुए अन्त तक वे झुके नहीं। अपने अध्ययन और परिश्रम के बल पर उन्होंने अछूतों को नया जीवन व सम्मान दिया।
इस पुस्तक “जीवनी, डॉ. भीमराव अम्बेडकर” में अम्बेडकर सा’ब की जीवन यात्रा को जानने की कोशिश की गई है। साथ ही उनके जीवन की कुछ खास घटनाओं को जानने-परखने का काम किया गया है जिससे पाठकों को उनके जीवन के संघर्षों और अनुभवों को जानने का मौका मिलेगा। उम्मीद है, पाठक वृन्द इस पुस्तक से लाभान्वित हो सकेंगे।