Santal-Sanskar Ki Rooprekha

· Vani Prakashan
5.0
리뷰 1개
eBook
488
페이지
검증되지 않은 평점과 리뷰입니다.  자세히 알아보기

eBook 정보

इतिहास की कहानी बहुत लम्बी है। उसे युगों में जितना ही हम बाँधने की चेष्टा करते हैं, उतनी ही उसकी लम्बाई बढ़ती जाती है। इसकी सीमा को हमने खोजों के द्वारा नापने की चेष्टा की है, पर अभी तक वह अथाह है. ऐसा माना जाता है, ऐसा कहा जाता है। पता नहीं, हमारी यह धारणा कब तक बनी रहेगी। एक खोज के द्वारा हम एक धारणा बना पाते हैं, पर दूसरी खोज उस धारणा को ग़लत प्रमाणित कर देती है। आज ज्ञान बढ़ रहा है. खोज का क्षेत्र भी विस्तृत हो रहा है। इस खोज की होड़ में इतिहास का क्या रूप होगा! इसका उत्तर भविष्य ही देगा। अब तक की प्राप्त उपलब्धियों को ही हम आधार बनाकर अपना काम कर सकते हैं। मानवीय उपलब्धियों का अभिलेख इतिहास है। मानव का पैर जब इस धरातल पर पड़ा तब इतिहास की गंगा छूटी। पर वास्तविक इतिहास का आरम्भ तब हुआ, जब तथ्यों ने इतिहास का श्रृंगार किया तथ्यों का जन्म अभिलेखों से होता है। यही कारण है, अभिलेख इतिहास के पोषक तत्त्व है। जिस जाति की उपलब्धियों का कोई अभिलेख नहीं, उसका अपना कोई इतिहास भी नहीं है। हो सकता है, जिस जाति का हमें इतिहास मिलता है, उस जाति के पूर्व का भी इतिहास हो, पर समय-सागर में उनकी उपलब्धियों नष्ट हो गयी है या वे किसी खोह में पढ गयी है और किसी शोधकर्ता की बाट देख रही हैं। खोह में पड़ी हुई उपलब्धियों से हमारा कोई सम्बन्ध नहीं है। उनके दर्शन की हमें लालसा अवश्य है। उनके प्रति हमारी ममता भी है। पर साक्ष्य के अभाव में वे हमारे लिए निरर्थक ही हैं। इस ग्रन्थ में मैंने उन्हीं उपलब्धियों को अपना बनाया है, जिनका कोई आधार है, कोई अभिलेख है।

इस ग्रन्थ में पाठकों को उन्हीं तथ्यों का उल्लेख मिलेगा, जिन तथ्यों का सम्बन्ध मानवीय क्रियाओं से है। पाठकों को घटनाएँ घटना के रूप में नहीं मिलेंगी, कारण, मैंने घटनाओं को घटना के रूप में ग्रहण नहीं किया है। घटनाओं के कारण एवं उनके परिणामों पर विचार किया गया है। घटनाओं का भाष्य भी पाठकों को मिलेगा। घटनाओं का प्रभाव किस प्रकार संस्कार एवं संस्कृति पर पड़ा है, वह किस गति से विकसित हुए हैं इसका भी आलोक मिलेगा। पर इसका अर्थ यह नहीं कि घटना प्रधान बनाकर इतिहास का सम्बन्ध मैंने व्यक्ति से जोड़ दिया है। मेरे कहने का अर्थ यह नहीं है कि इतिहास का सम्बन्ध व्यक्ति से नहीं है; वह घटना प्रधान हो गया है। घटनाओं का स्रोत तो व्यक्ति ही है; इसकी महत्ता को कम नहीं किया जा सकता। इतिहास उन व्यक्तियों की उपेक्षा नहीं कर सकता, जिनके व्यक्तित्व से उसकी धारा बदलती रही है। उन व्यक्तियों का कुछ अमर सन्देश है, जो युग-युग तक अमर रहेगा। उसकी योग्यता और क्षमता में आज इतना ओज है। इतिहास आज अगर उनकी ओर से आँखें मूँद लेता है, तो वह अन्धा हो जायेगा। आज का इतिहासकार ऐसे व्यक्ति के प्रति श्रद्धा से नतमस्तक है, फिर भी इतिहास को जो नयी दृष्टि मिली है; उससे व्यक्तित्व का विश्लेषण कर वह मौन नहीं रह जाता। समाज, जीवन, राजनीति, संस्कृति, संस्कार, धर्मभाषा और साहित्य से वह अपना सम्बन्ध स्थापित करता है। व्यक्ति से अधिक प्रवृत्तियों और स्थितियों पर वह प्रकाश डालता है। इन्हीं सारी बातों को दृष्टि में रखकर 'सन्ताल-संस्कार की रूपरेखा' का निर्माण हुआ।

평점 및 리뷰

5.0
리뷰 1개

저자 정보

उमाशंकर

बिहार के शाहाबाद के शुक्लारा गाँव में 15 सितम्बर, 1920 को जन्मे उमाशंकर का पूरा नाम अखौरी उमाशंकर सहाय था। पर, वे उमाशंकर ही लिखते थे। शिक्षा बी.ए. तक की पढ़ाई की और बिहार वित्त सेवान्तर्गत कोषागार पदाधिकारी पद से अवकाश ग्रहण किया। 25 अगस्त, 1975 को सरकारी सेवा में रहते हुए उनकी साँसें थम गयीं। बीस की उम्र से ही उनका लेखन शुरू हो गया, जो अन्तिम साँस तक जारी रहा। उनकी प्रमुख रचनाओं को देखें तो उनके रचना संसार के वैविध्य का पता चलता है। उनकी रचनाओं में प्रमुख हैं- प्रसाद के चार नाटक, प्रेमचन्द की निर्मला, प्रसाद की राज्यश्री, कलम-शिल्पी महेश नारायण : व्यक्तित्व और कृतित्व, बिहार के सन्त साहित्यकार (आलोचना), ग्राम स्वराज्य राजनीतिक विचारधाराएँ, नागरिक अधिकार, नागरिक कर्तव्य, चीन का सूनो पंजा (राजनीति), हमारे साहित्यिक नेता, हमारे राष्ट्रीय नेता, श्रद्धा के फूल, राजर्षि ( जीवन चरित्र), सन्ताल- संस्कार की रूपरेखा आदि ।

संजय कृष्ण

जन्म : जमानियाँ स्टेशन, गाजीपुर, उत्तर प्रदेश में।

शिक्षा : स्नातकोत्तर हिन्दी, प्राचीन इतिहास एवं एम.जे.एम.सी. । गोपाल राम गहमरी और हिन्दी पत्रकारिता पर शोध-प्रबन्ध। 'जमदग्नि वीथिका' नामक पत्रिका का सम्पादन व प्रकाशन।

कृतित्व : होती बस ऑंखें ही ऑंखें में नागार्जुन पर लम्बा लेख प्रकाशित । हिन्दी पत्रकारिता : विविध आयाम पुस्तक में हिन्दी पत्रकारिता पर शोधपूर्ण लेख संकलित । देश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में सौ से अधिक लेख- रिपोर्ट, समीक्षा आदि प्रकाशित । झारखण्ड के पर्व-त्योहार, मेल और पर्यटन स्थल, झारखण्ड के मेले, गोपाल राम गहमरी की प्रसिद्ध जासूसी कहानियाँ पुस्तकें प्रकाशित। संजीव चट्टोपाध्याय के पालामौ पर हिन्दी में सम्पादन । गोपाल राम गहमरी पर मोनोग्राफ साहित्य अकादमी से। 1953 में प्रयाग से निकलने वाली भारत पत्रिका का महाकुम्भ विशेषांक का पुनः प्रकाशन 'वाणी प्रकाशन ग्रुप' द्वारा हुआ। पटना बिहार से प्रकाशित महावीर पत्रिका का भी पुनःप्रकाशन।

पुरस्कार : केन्द्रीय पर्यटन मन्त्रालय का प्रथम राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार ।

이 eBook 평가

의견을 알려주세요.

읽기 정보

스마트폰 및 태블릿
AndroidiPad/iPhoneGoogle Play 북 앱을 설치하세요. 계정과 자동으로 동기화되어 어디서나 온라인 또는 오프라인으로 책을 읽을 수 있습니다.
노트북 및 컴퓨터
컴퓨터의 웹브라우저를 사용하여 Google Play에서 구매한 오디오북을 들을 수 있습니다.
eReader 및 기타 기기
Kobo eReader 등의 eBook 리더기에서 읽으려면 파일을 다운로드하여 기기로 전송해야 합니다. 지원되는 eBook 리더기로 파일을 전송하려면 고객센터에서 자세한 안내를 따르세요.