छोटे से शहर में बसे दो दोस्त अर्नव और साक्षी जिन्हें सामना करना पड़ता है। धर्म के दो गुटों के बीच के फसलों का,समाजवादी दंगों की वजह से उनके परिवार को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है जिसके कारण वे दोनों अलग हो जाते हैं।दो जिंदगियां जो बिछड़ जाती हैं एक तरफअर्नव अपने परिवार का बदला लेने के लिए समाज के गलत कामों में फंसकर रह जाता तो दूसरी ओरसाक्षी अपने परिवार की यादों में बस खोए हुए अपनी जिंदगी काट रही होतीहै।साथ ही साक्षी को झेलना पड़ता है ना खत्म होने वाली बुराई का...जिसने उसके परिवार और उसके आसपास के लोगों को खूब तकलीफ दी। मगर ना हार मानते हुए साक्षी उम्मीदों के रास्ते पर आगे बढ़ती गई और खुद को और अपने आसपास के सभी लोगों को हौसले से बढ़कर आगे बढ़ने का रास्ता दिखाती गई। इसी बीच अर्नव की मौजूदगी से अनजान साक्षी उसकी सच्चाई से बेखबर थी........
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