Saanjh Ka Saarthi

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प्रस्तुत पुस्तक, मेरी पिछली पुस्तक “तीन यक्ष प्रश्न” की अगली कड़ी ही तो है। लेकिन, यह पुस्तक अपने आप में स्वतंत्र है और नए पाठकों को भी उस पुस्तक की मुख्य धारा से जोड़ देगी । इससे पहले की यात्रा (पिछली पुस्तक) में दर दर भटकने के बाद, बिना किसी पूर्वाग्रह के अपने पात्र को खाली करने की मंशा से एक नए साधक का “अध्यात्म जीवन जागृति मार्ग” में प्रवेश होता है, और वो अपने सभी पिछले तथाकथित ज्ञान की पोटली को “भैया” के चरणों में समर्पित कर, अपने आप को एक नए विद्यार्थी के रूप में न केवल प्रस्तुत करता है, अपितु नए मार्ग पर नयी विधि को पूर्णतया आत्मसात कर, आस्था और विश्वास के साथ अपनी नई यात्रा (पूरब पश्चिम का मार्ग / शंखनाल बंकनाल) का शुभारंभ करता है। इससाधक के उस समय की मनःस्थिति और उस समय के ‘तीन प्रश्नों’ का उत्तर खोजने की प्रक्रिया, आध्यात्मिक यात्रा की विधि, मार्ग के विभिन्न पड़ाव और मील पत्थर का आप सब ने विहंगम शब्दावलोकन किया। हम “आधार शिविर” तक पहुंच गए थे। आईये, अब उसके आगे की आध्यात्मिक यात्रा पर चलते हैं, मैं और आप। यह यात्रा रोचक होगी और रोमांचक भी।

पुस्तक का शीर्षक metaphor पर आधारित है। “साँझ”, दोपहर के बाद और रात्री के पहले का समय काल है। पुस्तक में लेखक ने इसे अपने जीवन की साँझ के दृष्टांत के रूप में प्रयोग किया है।

“सारथी”, शब्द से तो आप परिचित होंगे ही । अध्यात्म में सारथी शब्द का प्रयोग सद्गुरु के लिए भी किया जाता है, जो जीव को मुक्ति या मोक्ष के मार्ग पर, अध्यात्म के सर्वोच्च शिखर तक ले जाने में सक्षम है।आप समझ ही गए होंगे; यहां, सारथी से भाव “भैया जी” से है।


Ratings and reviews

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Ravi Bharati Gupta
May 5, 2025
I have not written this book but have lived it & just expressed it.
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About the author

“तीरभा”, उपनाम से लेखन के क्षेत्र में पदार्पण करने वाले, रवि भारती गुप्ता का हिन्दी लेखन एवं संकलन के क्षेत्र में तीसरा प्रयास पाठकों के समक्ष प्रस्तुत है। प्रथम प्रयास “जहां प्रकाश – तहां नहीं अंधेरा” अन्य सहयोगियों के साथ, जिज्ञासुओं के प्रश्न और भैया जी के उत्तरों का संकलन है। दूसरा प्रयास “तीन यक्ष प्रश्न” लेखक के जीवन में आध्यात्मिक यात्रा के आरंभ का मृदु उद्घोष है। प्रस्तुत पुस्तक, उसी यात्रा के अनुभवों और अनुभूतियों की अभिव्यक्ति में अगला पड़ाव है।

आशा है, पहले की तरह इस प्रयास को भी भैया जी का आशीर्वाद और सुधी पाठकों का स्नेह और प्रोत्साहन प्राप्त होगा।

सुश्री “पूजा गंगोत्री” उपनाम “जाह्नवी”, अध्यात्म जीवन जागृति समूह की व्यवस्थापक और संचालिका हैं। भैया जी के व्यापक एवं सर्वसमावेशी मार्गदर्शन में, वो सामान्य साधकों और संतों को भजन सुमिरण / ध्यान के मार्ग में आने वाले अवरोधों को दूर करने में न केवल सहायता करती हैं, अपितु नए अनुगामियों के लिए उत्प्रेरक भी हैं। भैया जी के साप्ताहिक सत्संग और अन्य प्रत्यक्ष एवं वर्चुअल सत्संग के दक्ष संचालन एवं प्रसारण की जिम्मेदारी भी उनकी ही है।

भैया जी के ज्ञान के प्रसार हेतू, लेखन एवं प्रकाशन प्रोजेक्ट के मुख्य सहयोगी एवं परामर्श-दाता भी हैं। “जहां प्रकाश – तहां नहीं अंधेरा” पुस्तक, वस्तुतः उनका ही मौलिक विचार था। जिसे हम सब ने मिल कर पूरा किया। “तीन यक्ष प्रश्न” और “साँझ का सारथी” का प्रकाशन उनके अतुलनीय सहयोग के बिना असंभव था।


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