प्रकाशनाधीन काव्य पुस्तक ‘रंजन रस’ के रचयिता, हिन्दी साहित्य प्रेमी एवं अनुभवी रचनाकार श्री छगनलाल गर्ग ने अपनी इस काव्य कृति में जिस ढंग से श्रृंगार रस से लबालब रचनाओं को बहुत ही सरस शोभायमान ढंग से प्रस्तुत किया है वह तारीफे काबिल है। प्रेम के विविध स्वरूपों को अपने अलग ही अंदाज में शब्दों में समेटने वाले प्रबुद्ध रचनाकार ने भावनाओं की उछल-कूद को भी बखूबी काव्यमाला में पिरोया है, जिससे उनकी रचनाधर्मिता का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है । रंजन-रस में कवि ने अपने भावुक उद्गार व्यक्त करते हुए समाज को भी दिशा दिखाने का प्रयास किया है जो कवि की सामाजिक प्रवृत्ति का भास कराती है। रंजन-रस की रचनाएं निश्चय ही सुधी पाठकों को जी भर गुदगुदाने में सफल होंगी तथा हिन्दी काव्याकाश में चमकते सितारे की भांति नन्हें सितारों को
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