प्रियंका एक समर्पित लेखिका और समाजशास्त्र की गहरी समझ रखने वाली विचारक हैं, जिनका लेखन समाज में व्याप्त असमानताओं, विशेष रूप से महिलाओं के अधिकारों और उनकी स्वतंत्रता पर केंद्रित है। उन्होंने अपनी शिक्षा और अनुभवों के माध्यम से महिलाओं की सामाजिक स्थिति, उनके संघर्षों और अधिकारों की जटिलताओं को गहराई से समझा है। प्रियंका का मानना है कि एक सशक्त समाज तभी संभव है जब हर महिला को अपने अस्तित्व और अभिव्यक्ति की पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त हो। उनका लेखन न केवल महिलाओं के अधिकारों को उजागर करता है, बल्कि समाज को जागरूक करने और सकारात्मक बदलाव लाने का माध्यम भी बनता है। उनकी पुस्तकों और लेखों के माध्यम से वे महिला सशक्तिकरण, समानता और आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित करती हैं। प्रियंका की लेखनी उन आवाज़ों को मंच देती है जो अक्सर अनसुनी रह जाती हैं, और समाज में महिलाओं के प्रति सोच को एक नई दिशा देने का प्रयास करती है। इस पुस्तक में पाठकों को मिलेगा एक ऐसा दृष्टिकोण जो महिलाओं के प्रति सामाजिक व्यवहार और विचारधारा को चुनौती देता है — और यह दर्शाता है कि असली आज़ादी क्या होती है: अपने अस्तित्व और अधिकारों को जीने की स्वतंत्रता।