Prabhash Joshi: Prabhasha Joshi

· Prabhat Prakashan
5,0
1 avis
Ebook
112
Pages
Les notes et les avis ne sont pas vérifiés  En savoir plus

À propos de cet ebook

Prabhash Joshi केवल एक प्रेरक पुस्तक नहीं है, बल्कि संघर्ष की उस अद्भुत यात्रा का प्रतिबिंब है, जो व्यक्ति को भीतर से बदल देती है।

Sant Sameer [Author] द्वारा रचित यह कृति पाठकों को अपने आत्मबल, विश्वास और जुझारूपन की शक्ति से परिचित कराती है।

यह पुस्तक उन क्षणों में संबल देती है जब जीवन कठिनाइयों से घिरा हो। यह हार मानने के बजाय मैदान में डटे रहने की प्रेरणा देती है।

Prabhash Joshi हर उस पाठक के लिए है जो अंदर से टूट रहा है, लेकिन आगे बढ़ने का संकल्प लेना चाहता है।

यह केवल एक किताब नहीं, आत्म-संवाद है — जो प्रेरणा, आत्मविश्वास और कर्मशीलता की ऊर्जा जगाता है।

Notes et avis

5,0
1 avis

Quelques mots sur l'auteur

Sant Sameer

जन्म : 10 जुलाई, 1970।

शिक्षा : समाजशास्‍‍त्र में स्नातकोत्तर।

प्रतिष्‍ठि समाजकर्मी संत समीर उन कुछ महत्त्वपूर्ण लोगों में से हैं, जिन्होंने स्वतंत्र भारत में पहली बार बहुराष्‍ट्रीय उपनिवेश के खिलाफ आवाज उठाते हुए अस्सी के दशक के उत्तरार्ध में स्वदेशी-स्वावलंबन का आंदोलन पुनः शुरू किया। समाजकर्म के ही समानांतर लेखन में भी उनकी सक्रियता बराबर बनी हुई है। संख्यात्मक रूप से कम लिखने के बावजूद आपकी लिखी कुछ पुस्तकें और आलेख खासे चर्चित रहे। हैं। कुछ लेखों की अनुगूँज संसद् और विधानसभाओं तक भी पहुँची है। वैकल्पिक चिकित्सा, समाज-व्यवस्था, भाषा, संस्कृति, अध्यात्म आदि आपकी रुचि के खास विषय रहे हैं।

वैकल्पिक पत्रकारिता की दृष्‍टि से नब्बे के दशक की प्रतिष्‍ठित फीचर सर्विस ‘स्वदेशी संवाद सेवा’ के आप संस्थापक संपादक रहे। बहुराष्‍ट्रीय उपनिवेशवाद, वैश्‍वीकरण, डब्ल्यूटीओ जैसे मुद‍्दों पर बहस की शुरुआत करनेवाली इलाहाबाद से प्रकाशित वैचारिक पत्रिका ‘नई आजादी उद‍्घोष’ के भी संपादक औ सलाहकार संपादक रहे। व्यावसायिक पत्रकारिता के तौर पर कुछ अखबारों व न्यूज एजेंसियों के लिए खबरनवीसी भी की। कुछ समय तक क्रॉनिकल समूह के पाक्षिक ‘प्रथम प्रवक्‍ता’ से जुडे़ रहने के बाद फिलहाल हिंदुस्तान टाइम्स समूह की मासिक पत्रिका ‘कादंबिनी’ से जुड़े हुए हैं। इसके अलावा रेडियो लेखन और विभिन्न टी.वी. चैनलों के कार्यक्रमों में भी जब-तब आपकी सक्रियता बनी रहती है।

कृतियाँ : ‘सफल लेखन के सूत्र’ (1996), ‘स्वदेशी चिकित्सा’ (2001), ‘सौंदर्य निखार’ (2002), ‘स्वतंत्र भारत की हिंदी पत्रकारिता : इलाहाबाद जिला’ (शोध प्रबंध, 2007) ‘हिंदी की वर्तनी’ (2010), पत्रकारिता के युग निर्माता : प्रभाष जोशी (2010)।

संपर्क : सी-319/एफ-2, शालीमार गार्डन एक्सटेंशन-2, साहिबाबाद, गाजियाबाद-201005 (उ.प्र.)

मोबाइल : 9868202052, 9868902022

इ-मेल: [email protected]

Attribuez une note à ce ebook

Faites-nous part de votre avis.

Informations sur la lecture

Téléphones intelligents et tablettes
Installez l'appli Google Play Livres pour Android et iPad ou iPhone. Elle se synchronise automatiquement avec votre compte et vous permet de lire des livres en ligne ou hors connexion, où que vous soyez.
Ordinateurs portables et de bureau
Vous pouvez écouter les livres audio achetés sur Google Play en utilisant le navigateur Web de votre ordinateur.
Liseuses et autres appareils
Pour pouvoir lire des ouvrages sur des appareils utilisant la technologie e-Ink, comme les liseuses électroniques Kobo, vous devez télécharger un fichier et le transférer sur l'appareil en question. Suivez les instructions détaillées du centre d'aide pour transférer les fichiers sur les liseuses électroniques compatibles.