Jharkhand Andolan Aur Patra-Patrikayen

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<p>झारखंड राज्य के लिए चलाया गया झारखंड आंदोलन बहुत लंबा चला। आरंभ के दिनों में इसे एक-दो पत्र-पत्रिकाओं को छोड़कर किसी का साथ नहीं मिला। मजबूर होकर आंदोलनकारियों को अपनी पत्रिकाएँ निकालनी पड़ी थीं। इन पत्रिकाओं की बड़ी भूमिका रही है, लेकिन ऐसी पत्रिकाओं की भूमिका के बारे में न तो लोगों को जानकारी है और न ही ऐसी पत्रिकाएँ आसानी से उपलब्ध हैं। इतना ही नहीं, झारखंड आंदोलन के दौरान घटित घटनाओं की प्रामाणिक जानकारी, घटनाओं से जुड़े दस्तावेज, तसवीरें भी आसानी से उपलब्ध नहीं हैं। शोध पर आधारित इस पुस्तक में यह प्रयास किया गया है कि अधिक-से-अधिक प्रामाणिक दस्तावेजों एवं तसवीरों या झारखंड आंदोलन से जुड़ी पत्रिकाओं एवं महत्त्वपूर्ण घटनाओं की कतरनों को पाठकों के समक्ष रखा जाए।</p><p>अनेक दुर्लभ दस्तावेज-तसवीरें इस पुस्तक में हैं। झारखंड आंदोलन में इतनी ज्यादा घटनाएँ घटी हैं कि सभी को एक पुस्तक में समेटना असंभव है, फिर भी यह प्रयास किया गया है कि अधिक-से-अधिक महत्त्वपूर्ण घटनाओं को इस पुस्तक में जगह मिल सके। इस पुस्तक से बहुत हद तक यह स्पष्ट हो जाता है कि झारखंड राज्य बनाने के लिए चलाए गए आंदोलन को किन-किन पत्र-पत्रिकाओं का योगदान मिला, चाहे वे स्थानीय पत्र-पत्रिकाएँ हों या प्रांतीय-राष्ट्रीय स्तर की पत्रिकाएँ, पुस्तक की प्रामाणिकता इसकी विशेषता-ताकत है।</p>

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Anuj Kumar Sinha, Dr. Anju Kumari की ओर से ज़्यादा

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