Guldaste Ke Sookhe Phool

· BFC Publications
Llibre electrònic
200
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Sobre aquest llibre

‘गुलदस्ते के सूखे फूल’

किसी व्यक्ति के हालात से उपजे निर्णय और निर्णय से उपजे हालात उस व्यक्ति के सही व्यक्तित्व का परिचय देता है। संवेदनशील, विचारवान और परिष्कृत सोच के साथ जीने वाले व्यक्ति कभी हालातों के आगे घुटने नहीं टेकते बल्कि अपने निर्णय से उन हालातों पर विजय प्राप्त करने की कोशिश करते हैं। ऐसी परिस्थितियों में संभव है कि उनके द्वारा लिए गए निर्णय उनके लिए विकट हालातों का कारण बन जाएं। लेकिन ऐसे लोग पश्चाताप नहीं करते, परिस्थितियों को अपने अनुकूल ढालने का प्रयत्न करते हैं। कहानी संग्रह ‘गुलदस्ते के सूखे फूल’ की अधिकांश कहानियाँ कुछ ऐसी ही पृष्ठभूमियों पर आधारित हैं। कहानी ‘गुलदस्ते के सूखे फूल’ की सुधा का निर्णय उसके हालातों की वजह से था या फिर उसके हालात उसके निर्णय की वजह से, एक गंभीर प्रश्न का जवाब तलाशने की कोशिश है यह कहानी। कहानी ‘बस माँ हूँ, कुछ और नहीं’ की कल्पना जिन हालातों में माँ बनकर एक अबोध बच्ची को पालने की शपथ लेती है, बाद के हालातों पर समाज का नजरिया बहुत कुछ सोचने को विवश करता है। ‘कमली’ एक ऐसी स्त्री की कारुणिक कहानी है, एक ऐसे चरित्र की व्यथा गाथा है, जो हालातों के साथ समझौता तो करना चाहती थी लेकिन हालातों के आगे शिकस्त खाकर गर्भ में धड़कते सांसों की पहरेदारी छोड़ने पर सहमत नहीं हुई। कहानी ‘किस्सा झूला बाबा’ का नायक लक्ष्मण हालातों को अपने अनुकूल बनाते-बनाते उन्हीं हालातों का शिकार हो जाता है। हालात क्या बदले, बदले हालात ने उसकी जिंदगी की दिशा ही बदल दी। बच्चों की अभिरुचि का ख्याल न करना आजकल के माता-पिता की विकृत सोच का हिस्सा बनता जा रहा है। अधिकांश माता-पिता अपने बच्चों के भविष्य खुद तय करने के पीछे बच्चों का भविष्य अंधकारमय बना रहे हैं, उन राहों पर धकेल रहे हैं जहाँ से लौट पाना कई बार बच्चों के लिए संभव नहीं रह जाता। कहानी ‘कोटा का काँटा’ ऐसी ही परिस्थितियों के पड़ताल की कोशिश है। सोशल मीडिया की अंधी गलियों में खोते जा रहे किशोर और बुजुर्गों को एक नई रोशनी दिखाने की कोशिश है कहानी ‘तुलसी चौरा का तुलसी’। महानगरों की चकाचौंध में अपने बेटे-बहू के बीच रहकर भी स्वयं को अस्तित्वविहीन समझने को मजबूर एक ऐसे वृद्ध व्यक्ति की कहानी है ‘एक पत्ता खैनी’, जिसकी हसरतें सिमटकर एक पत्ता खैनी भर रह गयी है, तो वहीं कहानी पारियों में बँटे बुढ़ापा और इल्जाम के बावजूद बिखरते जा रहे, संयुक्त परिवार के बिखराव की दस्तक देती सर्वनाश की आहट है। कहानी संग्रह ‘गुलदस्ते के सूखे फूल’ में फूल और काँटों से सुसज्जित पच्चीस कहानियाँ संकलित हैं। मेरी कोशिश इन कहानियों के माध्यम से समाज में सूक्ष्म ही सही, सकारात्मक बदलाव की एक कोशिश है। पाठक ही हमारी कहानियों के समीक्षक हैं। कहानी संग्रह की कहानियों पर पाठकों के विचारों का स्वागत करेंगे। पाठकों की प्रतिक्रियाएं ही मुझे थोड़ा और बेहतर लिखने के लिए प्रेरित करती हैं।

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