Ek Maheena Nazmon Ka

· Vani Prakashan
ইবুক
216
পৃষ্ঠা
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এই ইবুকখনৰ বিষয়ে

‘एक महीना नज़्मों का’ असलियत के आसमान में रोमानियत की उड़ान है। जवां सोच को लफ़्ज़ों में पिरोती हुईं ये नज़्में कभी ख़्यालों का कोहरा बन जाती हैं कभी असलियत की चट्टानें। एहसासों में गहरे उतर कर, आसान भाषा में लिखे इस मोहब्बत के इतिहास में आपको अपना अक्स दिखायी देगा। इसमें कहीं पहले प्यार की सिहरन है तो कहीं बन्दिशों से नाराज़गी। कहीं मीठे दर्द की चुभन है तो कहीं ख़्वाबों में महबूबा की छुअन। इसमें उदासी भी है, बारिश भी, तन्हाई भी है, शहर, कसबा और गाँव भी। उम्मीद के धागों पर, बारिश के बाद पानी की बूँदों की तरह तैरते रंग-बिरंगे ख़्वाबों को ज़ुबान देती हैं ये नज़्में। मोहब्बत कभी न कभी, किसी न किसी से सबने की है और हर किसी की मोहब्बत ख़ास है। उस ख़ासियत का एहतराम करते हुए ये नज़्में उम्र की हदों को पार करती हुईं सबकी होने की ताक़त रखती हैं।

লিখকৰ বিষয়ে

इरशाद कामिल पंजाब के छोटे से कस्बे मलेरकोटला में जन्म। पंजाब विश्वविद्यालय से समकालीन हिन्दी कविता पर पीएच. डी. उपाधि। दी ट्रिब्यून समाचार पत्र समूह और इंडियन एक्सप्रेस समाचार पत्र समूह में नौकरियाँ। वर्ष 2001 में सब छोड़-छाड़ कर मुम्बई रवानगी। मुम्बई फ़िल्म उद्योग में पहली पंक्ति के गीतकार। तीन फ़िल्म फ़ेयर, दो ज़ी सिने, दो जीमा, अलावा, दो मिर्ची म्यूज़िक अवार्ड्स के अलावा स्क्रीन, आइफा, अप्सरा, बिग एण्टरटेनमेण्ट, ग्लोबल इण्डियन फ़िल्म एवं टीवी अवार्ड और दादा साहेब फाल्के फ़िल्म फॉउण्डेशन अवार्ड जैसे लगभग सभी फ़िल्मी पुरस्कार प्राप्त। ‘शैलेन्द्र सम्मान’ से भी सम्मानित। समकालीन कविता पर आलोचना पुस्तक ‘समकालीन कविता : समय और समाज’, एक नाटक ‘बोलती दीवारें’ और एक नज़्मों की किताब ‘एक महीना नज़्मों का’ भBooks By IRSHAD KAMIL

EK MAHEENA NAZMON KA

ी प्रकाशित।


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