लेखक ने शिक्षा और विज्ञान के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया को स्पष्ट करते हुए यह दिखाया है कि कैसे ये तीनों तत्व एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और सामूहिक प्रगति में सहायक हैं। साहित्य, शिक्षा और संस्कृति में समाज की विविधताओं, सांस्कृतिक धरोहर और आधुनिकता के बीच संतुलन बनाने की चुनौती को भी संजीदगी से प्रस्तुत किया गया है।
यह पुस्तक उन सभी के लिए महत्वपूर्ण है जो भारत के सामाजिक-सांस्कृतिक विकास और शिक्षा के प्रभावों को समझना चाहते हैं। डॉ. राजेंद्र प्रसाद की यह रचना सामाजिक चेतना, ज्ञान और विज्ञान की प्रगति को एक साथ जोड़ने का प्रयास करती है।
साहित्य, शिक्षा और संस्कृति समाज में सकारात्मक बदलाव लाने और सांस्कृतिक समृद्धि के मार्ग को प्रशस्त करने वाली एक प्रेरणादायक कृति है, जो आधुनिक भारत के निर्माण में शिक्षा की भूमिका को उजागर करती है।