आसिफ, जय, दुर्गा और भैरो सिंह एकसाथ मिलकर पिशाचों का सामना करते हैं। अपनी दिलेरी से ये उन पिशाचों का सर्वनाश कर देते हैं, पर दुर्भाग्यवश इस जंग में दरोगा भैरो सिंह की जान चली जाती है। आसिफ द्वारा किये गए विस्फोट से किले के साथ-साथ सारे पिशाच भी जलकर ख़ाक हो जाते हैं, पर पिशाचों की महारानी भैरवी उससे बाच निकलती है और जय की गर्दन काट लेती है, जय मरते-मरते भैरवी को भी साथ लेकर मरता है। निराशा, दुःख और भय जैसे न जाने कितने ही दर्दनाक भाव लिए आसिफ और दुर्गा वहाँ से बच निकलते हैं, उनके साथ रह जाती है तो बस उस भयानक रात की भयानक यादें।