PRABHAT KHABAR : PRAYOG KI KAHANI: PRAYOG KI KAHANI PRABHAT KHABAR: The Inspiring Story of an Innovative Newspaper

· Prabhat Prakashan
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इस पुस्तक के जरिए यह बताने का प्रयास किया गया है कि दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं है। अगर टीमवर्क हो, वर्क कल्चर हो, विजन हो, बेहतर लीडरशिप हो और लोगों में काम करने का जज्बा हो तो मृतप्राय संस्था को भी पुनर्जीवित किया जा सकता है, उसे एक बेहतरीन संस्था बनाया जा सकता है। ‘प्रभातखबर’अखबार की 30 वर्षों की यात्रा के संदर्भ में लिखी इस पुस्तक में इसी बात का उल्लेख है कि वे कौन से कारण हैं, जिनके बल पर एक समय बंद होता प्रभात खबर (स्थानीय/क्षेत्रीय अखबार) देश के शीर्ष हिंदी अखबारों में शामिल हो गया। पुस्तक में इस बात का जिक्र है कि कैसे एक संस्था को खड़ा किया जा सकता है। इसके लिए प्रभात खबर में क्या-क्या प्रयोग किए गए। चाहे वह संपादकीय प्रयोग हो या गैर-संपादकीय प्रयोग। प्रभात खबर की यात्रा में साधन के अभाव में अनेक मौके आए, जब लगा कि अखबार आज बंद हो गया कल, लेकिन ये सभी आशंकाएँ गलत निकलीं। पूरी किताब में उदाहरणों के बल पर यह बताने का प्रयास किया गया है कि एक स्थानीय और क्षेत्रीय अखबार भी अपने कंटेंट और अनूठे प्रयोग केबल पर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हो सकता है।

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Laxman Pandey
June 8, 2023
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About the author

झारखंड के चाईबासा में जन्म। प्रारंभिक शिक्षा हजारीबाग में। संत कोलंबा कॉलेज, हजारीबाग से बी.एस-सी. (गणित प्रतिष्‍ठा) की परीक्षा पास। राँची विश्‍वविद्यालय से पत्रकारिता की डिग्री लेने के बाद जेवियर समाज सेवा संस्थान राँची से रूरल डेवलपमेंट में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा प्राप्त। स्कूल के दिनों से ही लिखने का शौक था। ’80 के दशक में ‘विज्ञान प्रगति’, ‘बाल भारती’ आदि पत्रिकाओं में अनेक लेख छपे। 1984 से ‘प्रभात खबर’ से उस समय जुड़ा जब कॉलेज का छात्र था। 1995 में जमशेदपुर में ‘प्रभात खबर’ का स्थानीय संपादक बना। पुरस्कार : शंकर नियोगी पत्रकारिता पुरस्कार, झारखंड रत्‍न समेत कई अन्य सम्मान-पुरस्कार। प्रकाशन : झारखंड आंदोलन का दस्तावेज, शोषण, संघर्ष और शहादत। संप्रति : राँची में ‘प्रभात खबर’ में वरिष्‍ठ संपादक (झारखंड) के पद पर कार्यरत।

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