हिंदी के ऐतिहासिक उपन्यासकारों की समृद्ध परंपरा में आचार्य शत्रुघ्न प्रसाद महत्त्वपूर्ण हस्ताक्षर हैं। उन्होंने अपने ऐतिहासिक उपन्यासों में वैदिक काल से लेकर मध्यकाल तक के भारतीय समाज के यथार्थ चित्रण के क्रम में एक इतिहासकार की सामाजिक दृष्टि और एक उपन्यासकार की कला-दृष्टि के बीच सामंजस्य बनाए रखा है। आचार्य शत्रुघ्न प्रसाद अपने उपन्यासों में इतिहास के माध्यम से वर्तमान का सत्यान्वेषण करते हुए भविष्य के लिए भी संदेश देते हैं। प्रस्तुत पुस्तक उनके उपन्यासों की विषय-वस्तु, संवेदना, युगबोध एवं प्रासंगिकता का मूल्यांकन करती है।
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