Valentine Baba

· Storyside IN · Oplæst af Anamaya Verma
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बागी बलिया का कडक़ लौंडा शिवेश वैलेंटाइन बाबा की मोहब्बत की मल्टी डायमेंशनल कम्पनी का फुल टाइम इम्प्लॉई है, जिसका एकमात्र धर्म है 'काम'। ठीक इसके उलट है उसके बचपन का जिगरी यार, दिलदार, नाक की सीध में चलने वाला—मनीष, जिसकी सुबह है—सुजाता जिसका शाम है—सुजाता! जो ठीकठाक मॉडर्न है, थोड़ी स्टाइलिस्ट है, नई जबान में सेक्सी है, मस्ती की भाषा में बिन्दास है; लेकिन बलिया की यह ठेठ देसी लडक़ी कलेजे से ऐसी मजबूत है कि अगर कोई उसे चिडिय़ा समझकर चारा चुगाने की कोशिश करने आगे बढ़े तो उसके इरादे का वह कचूमर बनाकर रख देती है। सुजाता की रूममेट है मोहिनी, जिसका दिल मोहब्बत के मीनाबाजार से बुरी तरह बेजार हो चुका है। लव-सव-इश्क-विश्क की फिलॉसफी को ठहाके में उड़ाती वह अक्सरहाँ कहने लगी है—जिसका जितना मोटा पर्स, वो उतना बड़ा आशिक! सबकी जिन्दगी में कोई एक मकसद है, सबको कुछ-न-कुछ मिलता है, लेकिन क्या जिन्दगी उन्हें वही देती है, जो वे चाहते थे? चार नौजवान दिलों की हालबयानी है यह उपन्यास—वैलेंटाइन बाबा! ढाई आखर वाले प्यार और वन नाइट स्टैंड वाले लस्ट की सोच का टकराव आखिर किस मोड़ पर ले जाकर छोड़ेगा आपको, उपन्यास के आखिरी पन्ने तक कायम रहेगा यह रहस्य! माना कि लाइफ में बहुत फाइट है, सिचुएशन हर जगह, हर मोर्चे पर टाइट है तो क्या हुआ, दिल भी तो है! यकीनन, शशिकांत मिश्र का यह दूसरा उपन्यास बेलगाम बाजार की धुन पर ठुमकते हरेक दिल की ईसीजी रिपोर्ट है, इसे पढऩा आईने के सामने होना है, जाने क्या आपको अपने-सा दिख जाए...!

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