ये वक़्त की ताक़त होती है जो इंसान के कर्म के हिसाब से अपनी मौजूदगी का अहसास कराती है. भरत दिवाकर ने नमिता को जो ठिकाने लगाने की योजना बनाई थी, उसने बनाते हुए सोचा भी नही होगा कि इसका उल्टा भी हो सकता है. आख़िर ये सब...
Müsteeriumid ja põnevusromaanid