Norite 4 min. pavyzdžio? Klausykite bet kada, net neprisijungę.
Pridėti
Apie šią garsinę knygą
लेखक प्रवीण झा शहरों और देशों के विचित्र पहलूओं में रुचि रखते हैं। सफर की इस किताब में वे नीदरलैंड के नास्तिकों की तफ़्तीश में है। इस सफर में वह नास्तिकों, गंजेड़ियों और नशेड़ियों से गुजरते वेश्याओं और डच संस्कृति की विचित्रता पर आधी नींद में लिखते नजर आते हैं। किताब का ढाँचा उनकी चिर-परिचित खिलंदड़ शैली में है, और विवरण में सूक्ष्म भाव पिरोए गए हैं। यह एक यात्रा-संस्मरण न होकर एक मन में चल रहा भाष्य है। भिन्न संस्कृतियों के साम्य और द्वंद्व का चित्रण है। इसी कड़ी में उनका सफर एक खोई भारतीयता का सतही शोध भी करता नजर आता है।