Mahakrantikari : Mangal Pandey

· Storyside IN · Felolvassa: Vishal Singh
Hangoskönyv
4 óra 18 perc
Teljes
Használható
Az értékelések és vélemények nincsenek ellenőrizve További információ
Kíváncsi vagy egy 4 perc hosszú részletre? Bármikor meghallgathatod, akár offline is. 
Hozzáadás

Információk a hangoskönyvről

कलकत्ता के पास बैरकपुर की सैनिक छावनी में 34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री की पैदल सेना के सिपाही नंबर 1446 का नाम मंगल पांडे। भारत के पहले स्वातंत्र्य समर की ज्वाला सन् 1857 में उन्हीं के प्रयासों से धधकी। दरअसल 20 मार्च, 1857 को सैनिकों को नए प्रकार के कारतूस दिए गए। उन कारतूसों को मुझेहाँह में दाँतों से दबाकर खोला जाता था। वे गाय और सूअर की चरबी से चिकने किए गए थे, ताकि हिंदू और मुसलिम सैनिक धर्म के प्रति अनुराग छोड़कर धर्मविमुख हों। 29 मार्च को मंगल पांडे ने कारतूसों को मुझेहाँह से खोलने की उच्चाधिकारियों की आज्ञा मानने से इनकार कर दिया। सेना ने भी उनका साथ दिया। लेकिन ब्रिटिश उच्चाधिकारियों ने छलबलपूर्वक उन्हें बंदी बना लिया और आठ दिन बाद ही 8 अप्रैल, 1857 को उन्हें फाँसी दे दी। उनकी फाँसी की खबर ने देश भर में चिनगारी का काम किया और मेरठ छावनी से निकला विप्लव पूरे उत्तर भारत में फैल गया, जो स्वातंत्र्य समर के नाम से भी प्रसिद्ध हुआ। इसने मंगल पांडे का नाम इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज करा दिया। भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन के एक प्रमुख हस्ताक्षर की प्रेरणाप्रद जीवनगाथा, जो अन्याय और दमन के प्रतिकार का मार्ग प्रशस्त करती है।

Hangoskönyv értékelése

Mondd el a véleményedet.

Hogyan hallgathatod?

Okostelefonok és táblagépek
Telepítsd a Google Play Könyvek alkalmazást Android- vagy iPad/iPhone eszközre. Az alkalmazás automatikusan szinkronizálódik a fiókoddal, így bárhol olvashatsz online és offline állapotban is.
Laptopok és számítógépek
A Google Playen vásárolt könyveket számítógépének böngészője segítségével olvashatja el.