Jal Taranga

· Storyside IN · वाचक Amitavo Roychowdhury
अडियोबुक
7 घन्टा 52 मिनेट
पूर्ण
योग्य
रेटिङ र रिभ्यूहरूको पुष्टि गरिएको हुँदैन  थप जान्नुहोस्
4 मिनेट को नमुना सुन्न चाहनुहुन्छ? जुनसुकै बेला (अफलाइन हुँदा पनि) सुन्नुहोस्। 
थप

यो अडियोबुकका बारेमा

হেমন্তের শেষ বিকেলে ছিপ হাতে, সেই অরণ্যবেষ্টিত বিরহী ; নদীতে মাছ ধরতাম আমি। এই বিরহী নদীর কাছেই যেখানে বাইজি জওহর বাই মির্জাপুর ছেড়ে চলে যাচ্ছিলো সন্ধের মুখে ঝুমঝুমি বাজানো ঘোড়ায় টানা টাঙাতে চড়ে। জওহর আমাকে ডেকে নিয়ে হাতে হাত রেখে বলেছিল যে,আমি চলে যাচ্ছি। সখেদে তুমি আমায় কিছু দিয়ে গেলে না? জওহর বাই বলেছিল উত্তরে, দিয়ে গেলাম, তা আর কাউকেই এ জীবনে দিতে পারবো না। আমি শুধিয়েছিলাম, তা কী জওহর? আমার হাতে হাত রেখে জওহর বলেছিল "পহেলি প্যায়ার"। শুনুন বুদ্ধদেব গুহর লেখা এই প্রেমের উপন্যাস শুধুমাত্র স্টোরিটেল এ!

यो अडियोबुकको मूल्याङ्कन गर्नुहोस्

हामीलाई आफ्नो धारणा बताउनुहोस्।

जानकारी सुन्दै

स्मार्टफोन तथा ट्याबलेटहरू
AndroidiPad/iPhone का लागि Google Play किताब एप को इन्स्टल गर्नुहोस्। यो तपाईंको खातासॅंग स्वतः सिंक हुन्छ र तपाईं अनलाइन वा अफलाइन जहाँ भए पनि अध्ययन गर्न दिन्छ।
ल्यापटप तथा कम्प्युटरहरू
तापाईं आफ्नो कम्प्युटरको वेब ब्राउजर प्रयोग गरेर Google Play मा पुस्तकहरू खरीद गर्न सक्नुहुन्छ।