Ekta Jeev

· Storyside IN · Ganesh Divekar-এর কণ্ঠে
৫.০
১টি রিভিউ
অডিওবুক
16 ঘণ্টা 14 মিনিট
সংক্ষিপ্ত নয়
উপযুক্ত
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এই অডিওবুকের বিষয়ে

मराठी चित्रपटांवर अधिराज्य गाजवणारे दादा कोंडके यांची हे चरित्र आहे. प्रख्यात विनोदी अभिनेते एवढीच त्यांची ओळख नाही. गीतं, संवाद, लेखनं यशस्वी चित्रपट निर्माता, दिग्दर्शक, आणि एक उत्तम माणूस अशी त्यांची ओळख आहे. त्यांचं व्यक्तिमत्व प्रगल्भ, बहुआयामी होतं, पडद्यावरचं त्यांचं आयुष्य अनेकांनी अनेक वेळा पाहिलं असेल, पण दादा पडद्यामागे कसे होते. याची ओळख लेखिका अनिता पाध्ये यांनी करून दिली आहे. प्रत्यक्ष दादांच्याच शब्दांत ती वाचायला मिळते. बालपण, तारुण्य, नातेसंबंध, सिनेमाचे जग, तेथील वातावरण, रसिकांचे मिळालेले प्रेम, सेन्सॉर बोर्ड, द्वयर्थी गीतांच्या गमतीजमती अशा अनेक विषयांवर दादा मोकळेपणानं बोलले आहेत. त्यांचा हजरजबाबीपणा आणि विनोदाची उत्तम जाण त्यातून ठळक होते. दादा जसे सदाहरित होते, तसें हे पुस्तकही!

রেটিং ও পর্যালোচনাগুলি

৫.০
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