Astitva

· Storyside IN · Anupama Takmoge আৰু Mangesh Satputeৰ দ্বাৰা বর্ণিত
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10 ঘণ্টা 35 মিনিট
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सृजनचे वडील एक अपयशी सामान्य नाट्यकलावंत आहेत. सृजनची आई मात्र खमकी आहे. तिच्यावर ओढवलेल्या परिस्थितीने तिला नटी बनवले आहे. घर सावरणारी तीच आहे. परंतु सृजन बालपणापासूनच नाट्यक्षेत्रात मोठी कामगिरी बजावेल या आत्मविश्वासाने वावरत आहे. अत्यंत हलाखीच्या परिस्थितीत त्याला भेटलेली माणसे, त्याला आलेले अनुभव, त्याने केलेला संघर्ष...यातून तो कोठवर पोचू शकतो? कला आणि व्यवसाय या दोन टोकाच्या, परंतु तेवढ्याच महत्त्वाच्या दरडींवर पाय ठेवून, समतोल साधून, तो आपले स्वप्न पूर्ण करू शकतो का? कला, कलाकार, व्यवसाय व नाट्यक्षेत्राची पार्श्वभूमी असलेल्या सुहास शिरवळकर लिखित 'अस्तित्व' या कादंबरीतून एक वेगळाच उर्मी देणारा, उर्जा देणारा, अनुभव कलासाधकालाच नव्हे तर आयुष्यात संघर्ष कराव्या लागणाऱ्या प्रत्येकालाच मिळतो.

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